Sunday, September 28, 2008

गम

गम!!!!
जिन्दगी की हर राह
हर मोड़ पर
कुछ ना कुछ खोने का गम!!
कही जिन्दगी कही छुटे हुए समय का गम
यह गम बेदर्द है
जिसको लग जाए उसकी जिन्दगी मे लगा देता ज़ंग है!!
रुक जाती है जिन्दगी
छुट जाती है दोस्ती
रुक जाता है समय
रूठे पल याद दिलाता है !!
हमे यह
गम.........

3 comments:

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

स्वागत है आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में।

बन्धु,ध्यान दें:) गम=गोंद, ग़म=दुःख
सारे ग़म भुला कर लिखने में लग जाइए। सब कुछ ठीक हो जाएगा। च्च च्च च्च ... बेचारा... :)

Anonymous said...

ब्‍लागजगत में आपका स्‍वागत है।

प्रदीप मानोरिया said...

.. आपका चिठ्ठा जगत में हार्दिक स्वागत है निरंतरता की चाहत है .. मेरा आमंत्रण स्वीकारें समय निकल कर मेरे ब्लॉग पर पधारें