Sunday, September 28, 2008

गम

गम!!!!
जिन्दगी की हर राह
हर मोड़ पर
कुछ ना कुछ खोने का गम!!
कही जिन्दगी कही छुटे हुए समय का गम
यह गम बेदर्द है
जिसको लग जाए उसकी जिन्दगी मे लगा देता ज़ंग है!!
रुक जाती है जिन्दगी
छुट जाती है दोस्ती
रुक जाता है समय
रूठे पल याद दिलाता है !!
हमे यह
गम.........

Thursday, September 25, 2008

मे पास हो गया

मे पास हो गया
जब हुआ था मे पास
मेरे दिल मे था कुछ ख़ास
फ़ुट रहे थे दिल मे लडू
अब क्या करू मे क्या करू
मिठाई कहा किधर और किस्से खिल्लाऊ
दोस्तों के संग घूमने जाऊ
बाजार से काफी सारा सामान ले आ ऊ
सोचता हु अब क्या करू
किसी दोस्त को फ़ोन करू
और उसके परिणाम का हाल पता करू
फिर........
अब क्या करू
नए स्तर की तयारी शुरू करू
नई किताबे बाजार से खरीदुनए
आध्यापको से फिर मुलाक़ात करू
और फिर कहू........
मे पास हो गया

Tuesday, September 23, 2008

what i think about my class mates

college ke ladkey
innocent group:not a single group i can say is innocent

kaminaa: rohit,

intelligency:brajesh, ramendra,ravi.

hawaabaaj: rohit

over confidence: ramendra and arvind

good vice nature: devender

chamchey: neeraj & devender

hurami: manoj , sandeep, rohit.....

class ki jaan: ramendra

according to my class girls i dont know how to talk with them and they want frm me to learn how to talk with us

what abt me : calm from my mind and have attitude which is not good according to me

आंसू आखिर क्यों ???

आंसू आखिर क्यों ???


आखिर क्यों: इस दुःख भरी जिंदगी मे
इस गम की दुनिया मे
इस आगे बदते युग मे क्यों मिलते है आसू !!
आखिर क्यों: रोती है जिंदगी
खोती है आशाए
और खतम हो जाती है आकंशाये!!
आखिर क्यों: होते है घर तबाह और मिलते है
आंसू जो ठहरा दे धड़कन और इंसान को कर दे बेकाबू !!
आखिर क्यों: जाती है टूट आसे
और हम होते है एक अच्छे दिन के प्यासे !!
आखिर क्यों: मौत का तांडव प्रकृती खेलती है
और आंसुओ को सहलाव इंसान झेलती है!!
आखिर क्यों और क्यु
इन आसुओ ने घेरा है
और नहीं दिखता नया सवेरा है!!
आखिर क्यों: इन प्रशनो का उत्तर पाने के बाद भी अधुरा है
आखिर क्यों !!

Monday, September 22, 2008

my spl poems of ever

सुनामी लहरे
कहर लाइ सुनामी लहरे
सबके पड़ गे पिल्ले चेहरे!!
भूकंप आया बड़ा भयानक
शहर के शहर हो गए अचानक!!
मौत का तांडव खेल गई वोह लहरे
जिंदगी कितनी ले गई वोह लहरे!!
समुन्द्र मे उठा था यह सहलाव
ले डूबा कई जिन्दगी और देगया कई घाव!!
दुःख बाटने जब पहुचे लोग
अपनों के शव देख मनाने लगे शोक!!
जहा देखा वही थी लाश
हर एक को अपनी खोये हुए की तलाश!!
सफल वर्ष का दुखद अंत
जहलक रहा था अपनों से बिछडने का गम!!!!